वात रोगों मे पंचकर्म चिकित्सा

शरीर मे या संधीयो मे दर्द होना ये वात दोश बढा होने के लक्षण है । वात दोश के बढे बीना दर्द नही हो सकता । अभी-अभी ग्रीश्म ऋतु की रूक्षता सेे शरीर मे रूखा पन आया है और इसके तुरंत बाद वर्शा ऋतु के कारण मौसम मे थंडा पन आने वाला है। और यही रूखा पन और थंडा पन शरीर में वात को बढाकर विभिन्न प्रकार के वात रोग उत्पन्न करता है । आने वाले वर्शा ऋतु में संधीगत वात , गर्दन दर्द, स्पाॅडीलाॅसीस, सायटिका, आर्थरायटिस, जैसे वात रोग रूग्ण को परेषान करने वाले है ।इस वात रोग कि अर्ध चिकित्सा पंचकर्म कि ‘बस्ती’उपक्रम को काहा गया है । वात रोगो के लिए बस्ती सर्व श्रेष्ठ पंचकर्म कहा गया है । इसे जनरल भाशा मे मेडीकेटेड एनिमा कह सकते है। इस प्रक्रिया मे बडी अतडीयों मे तेल, काढा डाला जाता है । जिसे वायू बनने का स्थान कहा गया है। इस प्रक्रिसा से वात को शांत किया जाता है । बस्ती के पूर्व स्नेहन स्वेदन किया जाता है । जिसे हम मसाज और स्टिम बाथ कह सकते है । इस मे विभिन्न वात नाषक तेल से मसाज करके पत्रपोटटली , पिंड स्वेद, नाडी स्वेद, पेटी स्वेद जैसे विभिन्न प्रकार के स्टीम बाथ का प्रयोग किया जाता है । और उसके बाद बस्ती दी जाती है । जो की वात कि वेदनाये तुरंत कम करती है ।
इसलिए वर्शा ऋतु मे जरूर वात रोगो पर पंचकर्म चिकित्सा करे.

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